A poem about changing the centres A poem about changing the centres
यम को कंपाने वाले ये शब्द आज उसी की गोद में सो गया। यम को कंपाने वाले ये शब्द आज उसी की गोद में सो गया।
लोगों से क्या, अब खुद से अंजान रह जाते हैं शीशे में भी हम, नज़र नहीं आते हैं|| लोगों से क्या, अब खुद से अंजान रह जाते हैं शीशे में भी हम, नज़र नहीं आते हैं||
कभी करीब से देखो मौत को परवानो कि तरह, तो उसके दामन में गिरे अश्क में भीग जाने को दिल हो ही जायेगा। कभी करीब से देखो मौत को परवानो कि तरह, तो उसके दामन में गिरे अश्क में भीग जाने ...
सच्चाई और गलत की राह में, किसी एक का साथ चुनने में। नेता ने ना लगाई देर, सच्चाई और गलत की राह में, किसी एक का साथ चुनने में। नेता ने ना लगाई देर,
अनकहे अल्फ़ाज़ तुम्हारे, मैं दिल से चुरा लेता हूँ, तू लिखे ना लिखे, मैं दास्ताँ - ए - प् अनकहे अल्फ़ाज़ तुम्हारे, मैं दिल से चुरा लेता हूँ, तू लिखे ना लिखे, मैं दास्ताँ...